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9789386352828 - Shiv Prashad: Paawnie
Shiv Prashad

Paawnie (2017)

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ISBN: 9789386352828 bzw. 9386352826, Sprache unbekannt, Onlinegatha, neu.

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1980 और 90 के दशक । भोपाल शहर में निवासित एक ख़ुशहाल मध्य-वर्गीय परिवार – मृदुला और रविकान्त माथुर और उनका इकलौता बेटा, अनुराग। जब अनुराग अपनी किशोरावस्था में पहुँचता है, तब इनके आनन्दमय जीवन में एक विदारक त्रासदी हो जाती है, जिसका पूरा दोष अनुराग पर आ जाता है । एक तरफ बाप के मन का ज्वलन्त रोष, और दूसरी तरफ बेटे के हृदय में जड़ित अपराध-बोध । पिता और पुत्र के बीच एक ऐसी दरार बन जाती है , जिसको लाँघ पाना असम्भव-सा हो जाता है । ऐसी परिस्थितियों में इनके जीवन में प्रवेश करती है पावनी । सहज और चंचल, प्... 1980 और 90 के दशक । भोपाल शहर में निवासित एक ख़ुशहाल मध्य-वर्गीय परिवार – मृदुला और रविकान्त माथुर और उनका इकलौता बेटा, अनुराग। जब अनुराग अपनी किशोरावस्था में पहुँचता है, तब इनके आनन्दमय जीवन में एक विदारक त्रासदी हो जाती है, जिसका पूरा दोष अनुराग पर आ जाता है । एक तरफ बाप के मन का ज्वलन्त रोष, और दूसरी तरफ बेटे के हृदय में जड़ित अपराध-बोध । पिता और पुत्र के बीच एक ऐसी दरार बन जाती है , जिसको लाँघ पाना असम्भव-सा हो जाता है । ऐसी परिस्थितियों में इनके जीवन में प्रवेश करती है पावनी । सहज और चंचल, प्यार से भरी हुई , मन में असीम उत्साह लिए । एकऐसी अनोखी भूमिका निभाने के लिए जिसके बारे में वह खुद भी नहीं जानती । क्या वह इस घर पर छाई हुई कुण्ठा को दूर कर, इस परिवार का खोया हुआ सुख-चैन वापस ला पाती है ...? संवेदना, कोमलता और सुमधुर प्रेम से समन्वित, युवा भावनाओं के स्फुरण और उल्लास से रंजित इस उपन्यासमें पढ़िए ..... । वर्ष1981 से लेकर 2014 तक के चार दशकों और दो पीढ़ियों की जीवन–यात्राको तय करती हुई एक अनुपम गाथा ।Taal: hi;Formaat: Epub zonder kopieerbeveiliging (DRM) ;Verschijningsdatum: juni 2017;ISBN13: 9789386352828; Ebook | 2017.
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9789386352828 - Shiv Prashad: Paavani (First Book 1) (Hindi Edition)
Shiv Prashad

Paavani (First Book 1) (Hindi Edition) (2017)

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ISBN: 9789386352828 bzw. 9386352826, Sprache unbekannt, 642 Seiten, 2017. Ausgabe, OnlineGatha, neu, E-Book, elektronischer Download.

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1980 और 90 के दशक । भोपाल शहर में निवासित एक ख़ुशहाल मध्य-वर्गीय परिवार – मृदुला और रविकान्त माथुर और उनका इकलौता बेटा, अनुराग। जब अनुराग अपनी किशोरावस्था में पहुँचता है, तब इनके आनन्दमय जीवन में एक विदारक त्रासदी हो जाती है, जिसका पूरा दोष अनुराग पर आ जाता है । एक तरफ बाप के मन का ज्वलन्त रोष, और दूसरी तरफ बेटे के हृदय में जड़ित अपराध-बोध । पिता और पुत्र के बीच एक ऐसी दरार बन जाती है , जिसको लाँघ पाना असम्भव-सा हो जाता है । ऐसी परिस्थितियों में इनके जीवन में प्रवेश करती है पावनी । सहज और चंचल, प्यार से भरी हुई , मन में असीम उत्साह लिए । एकऐसी अनोखी भूमिका निभाने के लिए जिसके बारे में वह खुद भी नहीं जानती । क्या वह इस घर पर छाई हुई कुण्ठा को दूर कर, इस परिवार का खोया हुआ सुख-चैन वापस ला पाती है ...? , Kindle Edition, संस्करण: 2017, स्वरूप: Kindle eBook, लेबल: OnlineGatha, OnlineGatha, उत्पाद समूह: eBooks, प्रकाशित: 2017-06-16, रिलीज की तारीख: 2017-06-16, स्टूडियो: OnlineGatha.
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9789386352828 - Shiv Prashad: Paawnie
Shiv Prashad

Paawnie (2017)

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