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100%: Mamta Kaliya: Meri Kahaniyan (Hindi Stories), मेरी कहानियाँ-ममता कालिया (ISBN: 9781613012079) 2013, in Englisch, auch als eBook.
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46%: Ravindra Kaliya: Meri Kahaniyan (Hindi Stories), मेरी कहानियाँ-रवीन्द्र कालिया (ISBN: 9781613012062) 2013, in Englisch, auch als eBook.
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Meri Kahaniyan (Hindi Stories), मेरी कहानियाँ-ममता कालिया
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Meri Kahaniyan (Hindi Stories), मेरी कहानियाँ-रवीन्द्र कालिया (2013)
EN NW
ISBN: 9781613012062 bzw. 1613012063, in Englisch, Bhartiya Sahitya Inc. neu.
Lieferung aus: Niederlande, Direct beschikbaar.
bol.com.
मैंने और मेरी पीढ़ी के अन्य कथाकारों ने थोक में कहानियां नहीं लिखीं। किसी ने पचास तो किसी ने दो कम या दो ज़्यादा। इस मामले में हमारी पीढ़ी के कथाकार बहुत खुशनसीब थे कि इन थोड़ी-सी कहानियों में प्रायः अधिसंख्य कहानियाँ चर्चित रहीं, चालीस बरस बाद आज भी चर्चा में आ जाती हैं। मैंने अपने मित्रों, अज़ीज़ लेखकों, युवा लेखकों और युवा आलोचकों की राय से जो दस कहानियाँ चुनी हैं, वे इस संकलन में शामिल की जा रही हैं। अपनी कहानियों की गुणवत्ता का बखान करना या उनका मूल्यांकन करना यहाँ अभीष्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह एक अटपटा और दुविधापूर्ण काम है। आप कितना भी बचाकर यह काम करें, किसी न किसी कोण से हास्यास्पद हो ही जाएगा। यह काम मैं अपने सुधी पाठकों को सौंपता हूँ। वही तय करेंगे कि उन्हें ये कहानियाँ कैसी लगीं।Taal: hi;Formaat: ePub met kopieerbeveiliging (DRM) van Adobe;Kopieerrechten: Het kopiëren van (delen van) de pagina's is niet toegestaan ;Geschikt voor: Alle e-readers te koop bij bol.com (of compatible met Adobe DRM). Telefoons/tablets met Google Android (1.6 of hoger) voorzien van bol.com boekenbol app. PC en Mac met Adobe reader software;Verschijningsdatum: februari 2013;ISBN10: 1613012063;ISBN13: 9781613012062; Ebook | 2013.
bol.com.
मैंने और मेरी पीढ़ी के अन्य कथाकारों ने थोक में कहानियां नहीं लिखीं। किसी ने पचास तो किसी ने दो कम या दो ज़्यादा। इस मामले में हमारी पीढ़ी के कथाकार बहुत खुशनसीब थे कि इन थोड़ी-सी कहानियों में प्रायः अधिसंख्य कहानियाँ चर्चित रहीं, चालीस बरस बाद आज भी चर्चा में आ जाती हैं। मैंने अपने मित्रों, अज़ीज़ लेखकों, युवा लेखकों और युवा आलोचकों की राय से जो दस कहानियाँ चुनी हैं, वे इस संकलन में शामिल की जा रही हैं। अपनी कहानियों की गुणवत्ता का बखान करना या उनका मूल्यांकन करना यहाँ अभीष्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह एक अटपटा और दुविधापूर्ण काम है। आप कितना भी बचाकर यह काम करें, किसी न किसी कोण से हास्यास्पद हो ही जाएगा। यह काम मैं अपने सुधी पाठकों को सौंपता हूँ। वही तय करेंगे कि उन्हें ये कहानियाँ कैसी लगीं।Taal: hi;Formaat: ePub met kopieerbeveiliging (DRM) van Adobe;Kopieerrechten: Het kopiëren van (delen van) de pagina's is niet toegestaan ;Geschikt voor: Alle e-readers te koop bij bol.com (of compatible met Adobe DRM). Telefoons/tablets met Google Android (1.6 of hoger) voorzien van bol.com boekenbol app. PC en Mac met Adobe reader software;Verschijningsdatum: februari 2013;ISBN10: 1613012063;ISBN13: 9781613012062; Ebook | 2013.
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Meri Kahaniyan (Hindi Stories), मेरी कहानियाँ-रवीन्द्र कालिया (2013)
~EN NW
ISBN: 9781613012062 bzw. 1613012063, vermutlich in Englisch, Bhartiya Sahitya Inc. neu.
Lieferung aus: Niederlande, Direct beschikbaar.
bol.com.
मैंने और मेरी पीढ़ी के अन्य कथाकारों ने थोक में कहानियां नहीं लिखीं। किसी ने पचास तो किसी ने दो कम या दो ज़्यादा। इस मामले में हमारी पीढ़ी के कथाकार बहुत खुशनसीब थे कि इन थोड़ी-सी कहानियों में प्रायः अधिसंख्य कहानियाँ चर्चित रहीं, चालीस बरस बाद आज भी चर्चा में आ जाती हैं। मैंने अपने मित्रों, अज़ीज़ लेखकों, युवा लेखकों और युवा आलोचकों की राय से जो दस कहानियाँ चुनी हैं, वे इस संकलन में शामिल की जा रही हैं। अपनी कहानियों की गुणवत्ता का बखान करना या उनका मूल्यांकन करना यहाँ अभीष्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह एक अटपटा और दुविधापूर्ण काम है। आप कितना भी बचाकर यह काम करें, किसी न किसी कोण से हास्यास्पद हो ही जाएगा। यह काम मैं अपने सुधी पाठकों को सौंपता हूँ। वही तय करेंगे कि उन्हें ये कहानियाँ कैसी लगीं। Inhoud:Bindwijze: E-book;Verschijningsdatum: februari 2013;Ebook formaat: Adobe ePub; Betrokkenen:Auteur: Ravindra Kaliya | Ravindra Kaliya;Co-auteur: Ravindra Kaliya;Uitgever: Bhartiya Sahitya Inc.; EAN: Overige kenmerken:Subtitel: मेरी कहानियाँ-रवीन्द्र कालिया;Taal: hi; E-book | 9781613012062.
bol.com.
मैंने और मेरी पीढ़ी के अन्य कथाकारों ने थोक में कहानियां नहीं लिखीं। किसी ने पचास तो किसी ने दो कम या दो ज़्यादा। इस मामले में हमारी पीढ़ी के कथाकार बहुत खुशनसीब थे कि इन थोड़ी-सी कहानियों में प्रायः अधिसंख्य कहानियाँ चर्चित रहीं, चालीस बरस बाद आज भी चर्चा में आ जाती हैं। मैंने अपने मित्रों, अज़ीज़ लेखकों, युवा लेखकों और युवा आलोचकों की राय से जो दस कहानियाँ चुनी हैं, वे इस संकलन में शामिल की जा रही हैं। अपनी कहानियों की गुणवत्ता का बखान करना या उनका मूल्यांकन करना यहाँ अभीष्ट नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह एक अटपटा और दुविधापूर्ण काम है। आप कितना भी बचाकर यह काम करें, किसी न किसी कोण से हास्यास्पद हो ही जाएगा। यह काम मैं अपने सुधी पाठकों को सौंपता हूँ। वही तय करेंगे कि उन्हें ये कहानियाँ कैसी लगीं। Inhoud:Bindwijze: E-book;Verschijningsdatum: februari 2013;Ebook formaat: Adobe ePub; Betrokkenen:Auteur: Ravindra Kaliya | Ravindra Kaliya;Co-auteur: Ravindra Kaliya;Uitgever: Bhartiya Sahitya Inc.; EAN: Overige kenmerken:Subtitel: मेरी कहानियाँ-रवीन्द्र कालिया;Taal: hi; E-book | 9781613012062.
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Meri Kahaniyan (Hindi Stories), मेरी कहानियाँ-ममता कालिया (2013)
EN NW
ISBN: 9781613012079 bzw. 1613012071, in Englisch, Bhartiya Sahitya Inc. neu.
Lieferung aus: Niederlande, Direct beschikbaar.
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इन दस कहानियों में मैंने अपनी प्रारंभिक कहानी ‘छुटकारा’ इसलिए दी कि उसमें कच्ची धान की बाली की गंध है। मैंने जब लिखना शुरू किया था, प्रायः उस उम्र में आजकल लेखिकाएँ नहीं लिखतीं। आजकल प्रौढ़ अवस्था में वे लिखना शुरू करती हैं, जब कलम-कलाई में चौकन्नापन आ जाता है। मेरे लिए लेखन साइकिल चलाने जैसा एडवेंचर रहा है, डगमग-डगमग चली और कई बार घुटने, हथेलियाँ छिलाकर सीधा बढ़ना सीखा। समस्त गलतियाँ अपने आप कीं, कोई गॉडफादर नहीं बनाया। बिल्ली की तरह किसी का रास्ता नहीं काटा और किसी को गिराकर अपने को नहीं उठाया... इन दस कहानियों में मैंने अपनी प्रारंभिक कहानी ‘छुटकारा’ इसलिए दी कि उसमें कच्ची धान की बाली की गंध है। मैंने जब लिखना शुरू किया था, प्रायः उस उम्र में आजकल लेखिकाएँ नहीं लिखतीं। आजकल प्रौढ़ अवस्था में वे लिखना शुरू करती हैं, जब कलम-कलाई में चौकन्नापन आ जाता है। मेरे लिए लेखन साइकिल चलाने जैसा एडवेंचर रहा है, डगमग-डगमग चली और कई बार घुटने, हथेलियाँ छिलाकर सीधा बढ़ना सीखा। समस्त गलतियाँ अपने आप कीं, कोई गॉडफादर नहीं बनाया। बिल्ली की तरह किसी का रास्ता नहीं काटा और किसी को गिराकर अपने को नहीं उठाया। हमारे समय में लिखना, मात्र जीवन में रस का अनुसंधान था; न उसमें प्रपंच था न रणनीति। निज के और समय के सवालों से जूझने की तीव्र उत्कंठा और जीवन के प्रति नित नूतन विस्मय ही मेरी कहानियों का स्रोत रहा है। पाठक सुविख्यात लेखिका ममता कालिया की कहानियों को एक ही पुस्तक में पाकर सुखद अनुभव करेंगे।Taal: hi;Formaat: ePub met kopieerbeveiliging (DRM) van Adobe;Kopieerrechten: Het kopiëren van (delen van) de pagina's is niet toegestaan ;Geschikt voor: Alle e-readers te koop bij bol.com (of compatible met Adobe DRM). Telefoons/tablets met Google Android (1.6 of hoger) voorzien van bol.com boekenbol app. PC en Mac met Adobe reader software;Verschijningsdatum: maart 2013;ISBN10: 1613012071;ISBN13: 9781613012079; Ebook | 2013.
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इन दस कहानियों में मैंने अपनी प्रारंभिक कहानी ‘छुटकारा’ इसलिए दी कि उसमें कच्ची धान की बाली की गंध है। मैंने जब लिखना शुरू किया था, प्रायः उस उम्र में आजकल लेखिकाएँ नहीं लिखतीं। आजकल प्रौढ़ अवस्था में वे लिखना शुरू करती हैं, जब कलम-कलाई में चौकन्नापन आ जाता है। मेरे लिए लेखन साइकिल चलाने जैसा एडवेंचर रहा है, डगमग-डगमग चली और कई बार घुटने, हथेलियाँ छिलाकर सीधा बढ़ना सीखा। समस्त गलतियाँ अपने आप कीं, कोई गॉडफादर नहीं बनाया। बिल्ली की तरह किसी का रास्ता नहीं काटा और किसी को गिराकर अपने को नहीं उठाया... इन दस कहानियों में मैंने अपनी प्रारंभिक कहानी ‘छुटकारा’ इसलिए दी कि उसमें कच्ची धान की बाली की गंध है। मैंने जब लिखना शुरू किया था, प्रायः उस उम्र में आजकल लेखिकाएँ नहीं लिखतीं। आजकल प्रौढ़ अवस्था में वे लिखना शुरू करती हैं, जब कलम-कलाई में चौकन्नापन आ जाता है। मेरे लिए लेखन साइकिल चलाने जैसा एडवेंचर रहा है, डगमग-डगमग चली और कई बार घुटने, हथेलियाँ छिलाकर सीधा बढ़ना सीखा। समस्त गलतियाँ अपने आप कीं, कोई गॉडफादर नहीं बनाया। बिल्ली की तरह किसी का रास्ता नहीं काटा और किसी को गिराकर अपने को नहीं उठाया। हमारे समय में लिखना, मात्र जीवन में रस का अनुसंधान था; न उसमें प्रपंच था न रणनीति। निज के और समय के सवालों से जूझने की तीव्र उत्कंठा और जीवन के प्रति नित नूतन विस्मय ही मेरी कहानियों का स्रोत रहा है। पाठक सुविख्यात लेखिका ममता कालिया की कहानियों को एक ही पुस्तक में पाकर सुखद अनुभव करेंगे।Taal: hi;Formaat: ePub met kopieerbeveiliging (DRM) van Adobe;Kopieerrechten: Het kopiëren van (delen van) de pagina's is niet toegestaan ;Geschikt voor: Alle e-readers te koop bij bol.com (of compatible met Adobe DRM). Telefoons/tablets met Google Android (1.6 of hoger) voorzien van bol.com boekenbol app. PC en Mac met Adobe reader software;Verschijningsdatum: maart 2013;ISBN10: 1613012071;ISBN13: 9781613012079; Ebook | 2013.
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